Saturday, September 6, 2008
दोस्ती……………या इम्तहान खुद का…?
मेरे दोस्त,
आज तेरे साथ जो हुआ,
तो पता नही,मुझे भी कुछ हुआ,
तुझे भी हुआ,ये मुझे पता है मेरे दोस्त
लेकिन तुझे तो अंधेरों में है मुस्कुराने की आदत
इसलिये करता हूं खुदा से इबादत,
की दूर रख ऐसे दोस्तों को
जो दूर करें अंदर की चाहत
और पैदा कर दें खुद में,खुद से नफ़रत
की मै करता हूं उनका स्वागत,
जो नहीं उसके लायक
ना देना मुझे ऐसे दोस्त
जो बना दें मुझे भी नालायक !!!
के बनना है मुझे मां के सपनों का बेटा
और पापा के अरमानों का चहेता…………………………………………
ये लाइनें समर्पित हैं मेरे दोस्त मनीष को और उसकी शुचिता को जिसको आज नजर लग ही गयी थी दुर्योधन दोस्तों की……………………………………
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