Tuesday, January 20, 2009
एक बात जिसकी कसक आज भी है.........
वो थे हम थे,थी उनकी परछांई भी
कह सकते थे हम भी सब कुछ घडी ऎसी भी आयी थी
ढल गयी अफसोस ऎसी कई शामें
जब मेरी भी बारी आयी थी
पहुंचा अंत में हिम्मत करके
दिल की बात उन्ही से कहने
सबने हमको ये बतलाया
किस्मत में मेरी जुदाई थी
कल ही हुई वो मुझसे पराई थी
हे राम तेरे राज में
हे राम तेरे राज में कैसा हाहाकार है,
कैसे मै बोलूं तेरा ही संस्कार है,
पीस रहा गरीब,मांयें करती चीत्कार हैं,
हे राम तेरे राज में...........
शिक्षा के लिए तरसता युवक
अज्ञानी बनाता सरकार है
विद्रोहियों को मिलाता संरक्षण
संतो को फटकार है
हे राम तेरे राज में.........
नेता कहलाते गुरूजी
गुरु तो गुरुघंताल है
आतंकियों को मिलता संरक्षण
बलात्कारियों को पुरस्कार है
हे राम तेरे राज में...........
कैसे मै बोलूं तेरा ही संस्कार है,
पीस रहा गरीब,मांयें करती चीत्कार हैं,
हे राम तेरे राज में...........
शिक्षा के लिए तरसता युवक
अज्ञानी बनाता सरकार है
विद्रोहियों को मिलाता संरक्षण
संतो को फटकार है
हे राम तेरे राज में.........
नेता कहलाते गुरूजी
गुरु तो गुरुघंताल है
आतंकियों को मिलता संरक्षण
बलात्कारियों को पुरस्कार है
हे राम तेरे राज में...........
Subscribe to:
Posts (Atom)