Wednesday, July 9, 2008

डॉक्टर या दानव

पंचो राम-रामआप सोच रहें होगें की अभी तक सो रहा था अच्छा था पता नही कैसे जग गया तो महाराज मेरा लिखने का कीडा एक बार फ़िर कुलबुला उठा है अगर आप सज्जनों को कोई कष्ट हो तो इसके लिए माफ़ी वैसे जो कुछ भी लखने जा रहा हूँ उससे कुछ लोग तो लाल पीले होंगे ही लेकिन क्या करुँ जोर ज्यादा मार रहा है तो सोचा की लिख ही दूँ वैसे डॉक्टरों से मेरी कोई दुश्मनी नही है लेकिन क्या करुँ कुछ वाकया ही ऐसा घटा की लिखा रहा हूँ क्या कहा आपने चाट रहा हूँ अच्छा महाराज अब चाटना बंद करतां हूँ
दरअसल आज कल मै बीमार ज्यादा पड़ रहा हूँ तो पिछले कुछ दिनों इन देवताओं से मिलना हुआ तो इस कड़ी में
पहले श्री स्वनामधन्य के जी सिंह जी से मिला पहले तो मिलने से पहले हमें लगा की हम किसी डॉक्टर से नही तोप से मिलने आयें हों। काफ़ी रसाकस्सी करते हुए जब पहुंचे तो डॉक्टर साहब कही आराम फरमाने गए थे वो ?क्यों अरे भाई एसी में मरीजों को देखते हुए पसीना और टेंशन जो हो गया था और हम भूखे प्यासे लौह शरीर से जो निर्मित थे तो थकते कहा से ? चलिए भाई डॉक्टर साहब आयें और सारे भक्त टूट पड़े दर्शनों के लिए जैसे ही मै दर्शन के लिए पहुँचा तो बगैर मेरे तरफ़ देखते हुए उन्होंने अपने सहायको से औसधियाँ लिखवायीं और मेरी क्या समस्या है इसको जाने बगैर मुझे रवाना किया। मैंने भी भगवान् के प्रसाद को सब कुछ मानकर चलता बना बाद में मैंने दवाईयों के खोज में अपना वह पूरा दिन बर्बाद किया तो बाद में पता चला की ये दवा पारवती हॉस्पिटल में मिलेंगी मै खुश होते हुए हॉस्पिटल पहुँचा लेकिन यह क्या!!!! यह हॉस्पिटल तो उन्ही के जी सिंह जी का ही था मेरे क्रोध की सीमा नही रही और मै वहा से सीधा घर चला आया और मैंने ये सोचा जब इतने उचे पद वाले डॉक्टर का ये हाल है तो अन्य कैसे होंगे ऐसे दानव रूपी डॉक्टरों से बचें

2 comments:

jasvir saurana said...

achha lekh hai. jari rhe.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.

36solutions said...

बढिया प्रयास है आपका, धन्यवाद । इस नये हिन्दीण ब्ला ग का स्वागत है ।
शुरूआती दिनों में वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें इससे टिप्पयणियों की संख्या‍ प्रभावित होती है
(लागईन - डेशबोर्ड - लेआउट - सेटिंग - कमेंट - Show word verification for comments? No)
आरंभ ‘अंतरजाल में छत्तीमसगढ का स्पंदन’